पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी:बच्चों की आंखों की देखभाल क्यों है ज़रूरी?
बच्चों की आँखें उनके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जन्म से ही उनकी दृष्टि (vision) धीरे-धीरे विकसित होती है, लेकिन कई बार माता-पिता को यह पता नहीं चलता कि उनके बच्चे को आंखों की कोई समस्या (eye problem in kids) हो सकती है। पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी (Pediatric Ophthalmology) बच्चों की आंखों की देखभाल और इलाज से जुड़ा एक विशिष्ट क्षेत्र है, जिसमें दृष्टि समस्याएं, नेत्र संक्रमण, भेंगापन (squint), आंखों की सूजन और जन्मजात बीमारियों जैसी समस्याओं का इलाज किया जाता है।
आज हम जानेंगे कि बच्चों की आंखों से जुड़ी कौन-कौन सी समस्याएं होती हैं, उनका समाधान क्या है और कैसे सही देखभाल से बच्चों की दृष्टि को सुरक्षित रखा जा सकता है।
अंबलायोपिया तब होता है जब एक आंख दूसरी की तुलना में कमजोर हो जाती है और मस्तिष्क सिर्फ एक ही आंख से देखी गई छवि पर ध्यान केंद्रित करता है।
✅ धुंधली दृष्टि (blurry vision)
✅ आंखों का असामान्य मूवमेंट
✅ गहराई की समझ (depth perception) में कमी
चश्मा (Glasses) या आई पैच थेरेपी (Eye Patch Therapy), जिसमें अच्छी आंख को ढककर कमजोर आंख को मजबूत किया जाता है।
जब बच्चे की दोनों आंखें सही दिशा में नहीं देख पातीं, तो इसे भेंगापन कहा जाता है। यह समस्या जन्मजात भी हो सकती है और समय के साथ भी विकसित हो सकती है।
✅ एक आंख सीधी और दूसरी किसी और दिशा में
✅ दोहरी दृष्टि (double vision)
✅ सिर झुकाकर देखने की आदत
आई एक्सरसाइज़ (Eye Exercises), चश्मा, आई पैच और सर्जरी से इसे ठीक किया जा सकता है।
इसमें बच्चे को दूर की वस्तुएं देखने में परेशानी होती है। यह समस्या आजकल मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन के अधिक इस्तेमाल के कारण बढ़ रही है।
✅ दूर की चीजें धुंधली दिखना
✅ टीवी या किताब को बहुत करीब से देखना
✅ बार-बार आंखें मिचकाना
चश्मा, कॉन्टैक्ट लेंस (Contact Lenses) या ओरथो-के लेंस (Ortho-K lenses) से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
मोतियाबिंद केवल बुजुर्गों को ही नहीं, बल्कि बच्चों में भी हो सकता है। यह आमतौर पर जन्मजात (Congenital) होता है।
✅ आंखों में सफेद धब्बा (White spot in eye)
✅ रोशनी में आंखें बंद करना
✅ धुंधली दृष्टि
सर्जरी (Surgery) आवश्यक होती है, क्योंकि इससे दृष्टि हानि हो सकती है।
➡ बच्चों को मोबाइल, टीवी और लैपटॉप से दूर रखने की कोशिश करें। 2 साल से छोटे बच्चों को स्क्रीन बिल्कुल न दें और बड़े बच्चों के लिए 1 घंटे की सीमा रखें।
➡ गाजर, हरी सब्जियां, अंडे, नट्स, और मछली बच्चों की आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
➡ धूप में UV किरणें बच्चों की आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, इसलिए अच्छी क्वालिटी वाले सनग्लासेस पहनना जरूरी है।
4. आंखों को साफ रखें (Keep Eyes Clean)
➡ बच्चे अक्सर गंदी हाथों से आंखें रगड़ते हैं, जिससे संक्रमण (infection) हो सकता है। इसलिए हाथ धोने की आदत डालें।
➡ हर 6 महीने में एक बार नेत्र रोग विशेषज्ञ (pediatric ophthalmologist) से जांच कराएं।
अगर आपका बच्चा निम्नलिखित लक्षण दिखा रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें:
⚠️ सिरदर्द और आंखों में दर्द
⚠️ चीजों को देखने के लिए आंखों को बहुत अधिक मिचकाना
⚠️ आंखों का बार-बार लाल होना
⚠️ आंखों से पानी आना या खुजली होना
⚠️ पढ़ने या लिखने में कठिनाई
बच्चों की आंखों की सेहत को नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। सही देखभाल, स्वस्थ आहार और समय-समय पर नेत्र जांच कराकर हम बच्चों की दृष्टि को सुरक्षित रख सकते हैं। यदि कोई समस्या हो, तो समय पर पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजिस्ट से परामर्श लें, ताकि इलाज जल्दी और सही तरीके से किया जा सके।